शनिवार, 28 नवंबर 2009

।। श्रीरामजी।।
श्री राम जी के चरणो मे एक अर्ज

राम नाम शिम्भू शब्द, ध्यावत है शिवशेषा ।
सन्तदास हम कूं दिया, सतगुरू यह उपदेश ।।
सॉस सॉस बिच सन्तदास, राम नाम कर याद।
अगल बगल की बारता, कहण सुगण सब वाद।
राम कहं तो ऊबरे, झपट काल के मांहि ।
सन्तदास संसार मे, दूजादीसे नाहिं।।
बहुरन ऐसो पावसी, मनुष जन्म अवतार ।
रामचरण इक राम बिन, हारयो रत्न गिवार।।
अन्न पाणि का सोच क्या, सबकूं दे करतार ।
रामचरण विश्वास बिन, दुख पावे संसार।।
जिन जिन सुमरया नाम कूं, सो सब उतरया पार।
रामचरण जो विसरया, सोई जम के द्वार।।
रामचरण कह रामजी, मेरा गुन्हा बिसार।
पिता परि हरै घूत कूं, तो जीवे कूंण आधार ।।
मुरली चेतन होय के, कहिये चेतन राम।
झीणा केसां उपरे , मूढ चुणावे धाम।।
मुुरली मरणां आइया, जीवण जाण असार।
ताते रे नर चेत के, रसना राम उचार।।
मुरली मोजॉ भजन की, कीजे गलती रात।
सहस गणॉ सहसे बंधे, उगन्ते प्रभात ।।
जंबू दीप अरू भरत खण्ड रामराज नरदेह।
मुरली राम निवाजिया, अब वाहिकूं भज लेहि।।
राम तुम्हारो आसरो, राम तुम्हारो ग्यान।
राम तुम्हारो भजन मुख राम तुम्हारो ध्यान।।
राम तुम्हारो ध्यान राम तुम सिर पर राजो ।
आगे पिछे राम, दंशु दिश तुमही रामही गाजो ।
रामचरण इक रामबिन, मन माने नही आन
राम तुम्हारो आसरो, राम तुम्हारो ग्यान
रामचन्द्र ज्यू रामचरण है।
वा त्यारी अयोध्या या त्यारी मेवाड ।।
वा त्यारो हनुमान या त्यारो भुवनेश ।।

।। जय श्री राम ।।

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